विजय माल्या Vijay Malya एक ऐसा नाम जो कभी भारत के बिजनेस जगत की चमक थी, लेकिन आज धोखाधड़ी, बैंकों का घोटाला, और प्रत्यर्पण जैसे शब्दों के साथ जोड़ा जाता है। उनकी कहानी एक शानदार शुरुआत, वैभवशाली जीवन, और फिर विवादों में डूबे एक पतन की कहानी है। यह लेख विजय माल्या की जिंदगी, उनके बिजनेस साम्राज्य, किंगफिशर एयरलाइंस के उत्थान और पतन, और भारत से यूके तक की उनकी फरारी की पूरी कहानी को विस्तार से बताता है।
प्रारंभिक जीवन और बिजनेस की शुरुआत
विजय माल्या का जन्म 18 दिसंबर 1955 को कोलकाता में एक व्यापारिक परिवार में हुआ था। उनके पिता, विट्ठल माल्या, यूनाइटेड ब्रेवरीज (UB) ग्रुप के मालिक थे, जो भारत में शराब उद्योग का एक बड़ा नाम था। विजय माल्या ने सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से बीकॉम की डिग्री हासिल की। उनके पिता की मृत्यु के बाद, 1983 में, मात्र 28 साल की उम्र में, विजय माल्या ने UB ग्रुप की कमान संभाली। उन्होंने किंगफिशर बीयर को भारत का सबसे बड़ा बीयर ब्रांड बनाया, जिसने 52% मार्केट शेयर हासिल किया। उनकी मार्केटिंग प्रतिभा और आकर्षक पैकेजिंग ने किंगफिशर को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
विजय माल्या Vijay Malya ने अपने बिजनेस को शराब तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने पेंट, फार्मास्यूटिकल्स, और खेल जैसे क्षेत्रों में भी कदम रखा। उन्होंने बर्गर पेंट्स का अधिग्रहण किया और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) और सहारा फोर्स इंडिया फॉर्मूला-1 जैसी खेल फ्रेंचाइजी में निवेश किया। उनकी चमक-दमक वाली जिंदगी और लग्जरी लाइफस्टाइल ने उन्हें “लिकर किंग” और “किंग ऑफ गुड टाइम्स” जैसे उपनाम दिए।
किंगफिशर एयरलाइंस का उदय
2005 में, विजय माल्या ने अपने बेटे सिद्धार्थ के 18वें जन्मदिन पर किंगफिशर एयरलाइंस की शुरुआत की। यह भारत में प्रीमियम उड़ान अनुभव प्रदान करने वाली पहली एयरलाइन थी। 2008 तक, किंगफिशर भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई थी, जो अपनी लग्जरी सर्विस और आकर्षक ब्रांडिंग के लिए जानी जाती थी। माल्या ने इस एयरलाइन को अपने बिजनेस साम्राज्य का गहना बनाया, लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई।
किंगफिशर एयरलाइंस ने शुरुआत में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन 2008 की वैश्विक मंदी ने इसे गंभीर वित्तीय संकट में डाल दिया। एविएशन फ्यूल की बढ़ती कीमतें, राज्य सरकारों द्वारा लगाया गया भारी सेल्स टैक्स, और विदेशी निवेश की अनुमति न मिलने जैसे कारणों ने एयरलाइन के खर्चों को बढ़ाया और आय को कम किया। माल्या ने UB होल्डिंग्स से 3,000 करोड़ रुपये नकद डाले और अपनी व्यक्तिगत गारंटी दी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था।
बैंकों का घोटाला और वित्तीय संकट
किंगफिशर एयरलाइंस को बचाने के लिए विजय माल्या ने 17 भारतीय बैंकों से भारी-भरकम कर्ज लिया। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (1,600 करोड़), IDBI बैंक (800 करोड़), पंजाब नेशनल बैंक (800 करोड़), और बैंक ऑफ बड़ौदा (550 करोड़) जैसे बड़े बैंक शामिल थे। कुल मिलाकर, किंगफिशर पर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो गया। लेकिन, 2011 से एयरलाइन लगातार घाटे में चल रही थी। 2012 तक हालात इतने खराब हो गए कि उड़ानें रुक गईं, कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला, और कंपनी का लाइसेंस रद्द हो गया।
माल्या Vijay Malya पर आरोप लगे कि उन्होंने कर्ज के पैसे को गलत जगहों पर इस्तेमाल किया, जैसे फोर्स इंडिया फॉर्मूला-1 टीम और अपने कॉर्पोरेट जेट के लिए। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उन पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए। CBI की चार्जशीट में दावा किया गया कि माल्या ने 2008-2016 के बीच यूके और फ्रांस में 330 करोड़ रुपये की संपत्तियां खरीदीं, जबकि उनकी एयरलाइन नकदी संकट से जूझ रही थी।
भारत से फरारी और भगोड़ा घोषित
2016 में, जब जांच एजेंसियां माल्या के पीछे पड़ीं, उन्होंने 2 मार्च को भारत छोड़कर यूके भाग गए। माल्या ने इसे “पहले से तय यात्रा” बताया, लेकिन भारत सरकार और बैंकों ने इसे फरारी माना। सुप्रीम कोर्ट को अटॉर्नी जनरल ने बताया कि माल्या देश छोड़ चुके हैं, और CBI ने स्वीकार किया कि उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस कमजोर था, जिसमें हिरासत की सलाह नहीं थी। 5 जनवरी 2019 को माल्या को आर्थिक भगोड़ा घोषित किया गया।
माल्या ने दावा किया कि उन्होंने बैंकों को 2012-2015 के बीच चार सेटलमेंट ऑफर दिए, लेकिन बैंकों ने 14,000 करोड़ रुपये की मांग की, जो उनके अनुसार असंभव था। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों ने उनकी संपत्तियों और किंगफिशर ब्रांड से 14,131.60 करोड़ रुपये वसूल लिए, जो मूल कर्ज से अधिक है। फिर भी, भारत सरकार और जांच एजेंसियां उन्हें अपराधी मानती हैं।
प्रत्यर्पण की कानूनी लड़ाई
भारत सरकार ने 2017 में यूके से माल्या के प्रत्यर्पण की मांग की। 2018 में, लंदन की एक अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी, और 2019 में यूके के गृह सचिव ने इस पर हस्ताक्षर किए। हालांकि, माल्या ने कानूनी अपीलों के जरिए इस प्रक्रिया को लंबा खींच दिया। उनकी लीगल टीम ने तर्क दिया कि भारतीय जेलें यूके की प्रत्यर्पण शर्तों को पूरा नहीं करतीं। 2020 में, यूके हाई कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी, और भारत लाने का रास्ता साफ हुआ। फिर भी, कानूनी अड़चनों के कारण माल्या अभी भी यूके में हैं।
2024 में, भारत सरकार ने फ्रांस से भी माल्या को प्रत्यर्पित करने की मांग की, क्योंकि CBI ने दावा किया कि माल्या ने 2015-16 में वहां 330 करोड़ रुपये की संपत्तियां खरीदी थीं। फ्रांस ने 2020 में उनकी 14 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।
माल्या का पक्ष और हालिया बयान
2025 में, माल्या ने 9 साल बाद एक यूट्यूब पॉडकास्ट में अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने किंगफिशर एयरलाइंस की विफलता के लिए माफी मांगी, लेकिन चोरी के आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा, “आप मुझे भगोड़ा कह सकते हैं, लेकिन चोर नहीं। मैंने कोई चोरी नहीं की।” माल्या ने दावा किया कि उन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से मदद मांगी थी, लेकिन सरकार की अनदेखी और बैंकों की बेरुखी ने उनकी एयरलाइन को डुबो दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर निष्पक्ष सुनवाई की गारंटी मिले, तो वे भारत लौट सकते हैं।
माल्या ने यह भी बताया कि उनकी संपत्तियां, जैसे गोवा का 73 करोड़ रुपये का विला, बिक चुकी हैं, लेकिन उनके पास अभी भी यूके, फ्रांस, और अमेरिका में संपत्तियां हैं। उनकी नेटवर्थ 2022 में 1.2 बिलियन डॉलर थी, जो उनके बिजनेस की वैश्विक पहुंच को दर्शाती है।
वर्तमान स्थिति और विवाद
आज, विजय माल्या यूके में रह रहे हैं और प्रत्यर्पण की लड़ाई लड़ रहे हैं। भारत में उनकी संपत्तियों को बेचकर बैंकों ने 14,131.60 करोड़ रुपये वसूल लिए हैं, लेकिन जांच एजेंसियां अभी भी उन्हें आर्थिक अपराधी मानती हैं। माल्या का कहना है कि मीडिया ने उन्हें “विलेन” बनाया और सिस्टम ने उनके साथ अन्याय किया। उनके हालिया बयानों ने भारत में बहस छेड़ दी है, जहां कुछ लोग उन्हें लुटेरा मानते हैं, तो कुछ उनकी दलीलों को सुनना चाहते हैं।
निष्कर्ष
विजय माल्या Vijay Malya की कहानी एक बिजनेस टाइकून के उत्थान और पतन की कहानी है। किंगफिशर एयरलाइंस, जो कभी भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन थी, आज एक असफलता का प्रतीक है। माल्या के बैंकों के घोटाले, धोखाधड़ी के आरोप, और फरारी ने उन्हें भारत में बदनाम कर दिया। फिर भी, उनकी मार्केटिंग प्रतिभा और UB ग्रुप की सफलता को नकारा नहीं जा सकता। क्या माल्या कभी भारत लौटेंगे? क्या वे निष्पक्ष सुनवाई पा सकेंगे? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं।
यह कहानी न केवल विजय माल्या के जीवन को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक गलत फैसला और आर्थिक संकट किसी के साम्राज्य को ढहा सकता है। अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे शेयर करें और अपने विचार कमेंट में बताएं।
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