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House of Secrets: 11 सदस्यों की रहस्यमयी मौत – दस लोग घर की छत से लटके हुए पाए गए

11 सदस्यों की रहस्यमयी मौत

1 जुलाई 2018 की सुबह, दिल्ली के बुराड़ी इलाके के संत नगर में ऐसी एक दर्दनाक घटना घटी, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। चundawat परिवार, जिसे पड़ोसी भाटिया परिवार के नाम से भी जानते थे, के 11 सदस्यों की रहस्यमयी मौत ने कई सवाल खड़े किए। दस लोग घर की छत से लटके हुए पाए गए, जबकि परिवार की सबसे बुजुर्ग सदस्य, 80 वर्षीय नारायणी देवी, पास के कमरे में गला घोंटे हुए मृत मिलीं। इस ब्लॉग में हम इस भयावह घटना, इसके पीछे की आध्यात्मिकता, और सामाजिक-मनोवैज्ञानिक पहलुओं की गहराई से पड़ताल करते हैं।

चundawat परिवार: एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार

चundawat परिवार लगभग 20 वर्षों से बुराड़ी के संत नगर में रह रहा था। हरियाणा के तोहाना से दिल्ली आए इस परिवार ने किराने की दुकान और प्लाईवुड का व्यवसाय चलाकर अपनी आजीविका बनाई। परिवार में नारायणी देवी (80), उनके दो बेटे भवनीश (50) और ललित (45), उनकी पत्नियां सविता (48) और टीना (42), बेटी प्रतिभा भाटिया (57), और उनके बच्चे नीतू (25), मोनू (23), ध्रुव (15), शिवम (15), और प्रियंका (33) शामिल थे। पड़ोसियों और रिश्तेदारों के अनुसार, यह परिवार मिलनसार और सामुदायिक गतिविधियों में सक्रिय था।

पड़ोसी रीता शर्मा (62) बताती हैं, “नारायणी देवी और भोपाल सिंह मुझे अपनी बेटी मानते थे। वे मेरे बेटे अर्णव की देखभाल भी करते थे।” भवनीश की दुकान एक सामाजिक केंद्र थी, जहां लोग बातचीत के लिए इकट्ठा होते थे। उनकी बेटी नीतू को एक आत्मविश्वास से भरी और हंसमुख लड़की के रूप में याद किया जाता है।

2007: वह साल जब सब कुछ बदल गया

2007 में भोपाल सिंह की मृत्यु ने परिवार को गहरा आघात पहुंचाया। ललित, जो परिवार का सबसे छोटा बेटा था, इस घटना से बहुत प्रभावित हुआ। वह अंतर्मुखी हो गया और उसने दावा किया कि उसके पिता की आत्मा उससे संपर्क करती है। पड़ोसियों के अनुसार, 2007 में भोपाल सिंह की मृत्यु के बाद ललित की आवाज, जो 2004 में एक दुर्घटना में खो गई थी, अचानक लौट आई। एक पड़ोसी ने बताया, “ललित ने गरुड़ पुराण पाठ के दौरान अचानक ‘ॐ’ का जाप शुरू किया, और सभी ने कहा कि ‘डैडी आ गए’।

इसके बाद, ललित ने दावा किया कि उसके पिता की आत्मा उसे परिवार के कल्याण के लिए निर्देश दे रही है। उसने और उसकी भतीजी प्रियंका और नीतू ने 11 डायरियों में इन निर्देशों को दर्ज करना शुरू किया। इन डायरियों में बड़ तपस्या जैसे अनुष्ठानों का उल्लेख था, जिसे पुलिस ने बाद में सामूहिक आत्महत्या का कारण माना।

आध्यात्मिकता या सामूहिक भ्रम?

पुलिस की जांच में सामने आया कि ललित ने परिवार को विश्वास दिलाया था कि यह अनुष्ठान उनके जीवन को बेहतर बनाएगा। डायरियों में लिखा था कि परिवार को बड़ tree की तरह लटकना होगा, लेकिन उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। यह विश्वास इतना गहरा था कि 15 से 57 साल की उम्र के सभी सदस्य इस अनुष्ठान में शामिल हुए। मनोवैज्ञानिकों ने इसे “सामूहिक भ्रम” (shared psychosis) का मामला बताया, जहां एक व्यक्ति की भ्रांतियां पूरे समूह पर हावी हो जाती हैं।

हालांकि, परिवार के एकमात्र जीवित सदस्य, दीनेश चundawat, जो राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में रहते हैं, इस निष्कर्ष से असहमत हैं। उनका कहना है कि उनका परिवार इस तरह के अंधविश्वास में विश्वास नहीं करता था और इसे हत्या की जांच के रूप में देखा जाना चाहिए।

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

बुराड़ी कांड ने मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक दबावों पर कई सवाल उठाए। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ललित की मानसिक स्थिति, जो 2004 में एक दर्दनाक घटना और 2007 में पिता की मृत्यु से प्रभावित थी, ने उसे भ्रांतियों की ओर धकेल दिया। परिवार के अन्य सदस्य, जो एक पारंपरिक भारतीय परिवार की तरह एकजुट थे, ने ललित की बातों को बिना सवाल किए स्वीकार कर लिया।

यह घटना भारतीय समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी को भी उजागर करती है। यदि परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों, या रिश्तेदारों ने ललित की मानसिक स्थिति पर ध्यान दिया होता, तो शायद यह त्रासदी टल सकती थी।

मीडिया और समाज का दृष्टिकोण

इस घटना ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं। नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री “House of Secrets: The Burari Deaths” ने इस मामले को गहराई से उजागर किया, जिसमें पुलिस अधिकारियों, पत्रकारों, और पड़ोसियों के साक्षात्कार शामिल हैं। इसने समाज में परिवार के रहस्यों को छिपाने की प्रवृत्ति और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता पर प्रकाश डाला।

पड़ोसियों ने इस परिवार को सामान्य और मददगार माना, लेकिन किसी को भी उनके घर के अंदर चल रही गतिविधियों की जानकारी नहीं थी। एक पड़ोसी, श्री राम (70), ने कहा, “हमें कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा। अगर हमें पता होता, तो हम जरूर कुछ करते।

निष्कर्ष

बुराड़ी कांड एक ऐसी त्रासदी है जो हमें आध्यात्मिकता, मानसिक स्वास्थ्य, और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति सोचने पर मजबूर करती है। यह हमें सिखाता है कि परिवार के भीतर संवाद और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता कितनी महत्वपूर्ण है। चundawat परिवार की कहानी एक सामान्य परिवार की तरह शुरू हुई थी, लेकिन एक अंधेरे रहस्य ने इसे हमेशा के लिए बदल दिया।

क्या यह सामूहिक भ्रम था, या कुछ और? इस सवाल का जवाब शायद कभी न मिले, लेकिन यह घटना हमें यह जरूर सिखाती है कि मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना कितना खतरनाक हो सकता है।

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